रविवार, 22 अगस्त 2021

महाकवि नीरज जी को समर्पित हमारी कविता '' हमने अपनी आज़ादी को, पल पल रोते देखा है ''...कवि मनीष सुमन

 "प्यार की धरती अगर बन्दूक से बांटी गयी  तो  एक मुर्दा शहर अपने दर्मिया रह जायेगा "                               - राष्ट्रकवि गोप...